Saturday, January 14, 2012

OM Sai ram


एक वक्ती बहुत ही गरीब था और रोज साईं बाबा की पूजा करता था वो इतना गरीब था की ५० रुपए कमाने के लिए उसे १ महीने लगते थे उसकी एक बेटी भी थी उसकी शादी के लिए उसे बहुत चिंता थी एक दिन की बात है उसकी लड़की के लिए दूर गाव से एक अच्छा रिश्ता आया लड़के के पिता ने उससे कहाँ की शादी में हमें पचास हजार रुपए दहेज़ चाहिए तब वो वक्ती कुछ कह पता की उसकी पत्नी ने इस रिश्ते के लिए हाँ कर दिय वो वक्ती कुछ कह ही नहीं सका .....अब उस वक्ती को चिंता होने लगी की पचास हजार रुपए कहाँ से लाये उसकी पत्नी ने बिना सोचे ही हाँ कर दी है उसने अपनी पत्नी को ये बात बताई उसकी पत्नी ने कहाँ की तुम शिर्डी जाओ और साईं बाबा से पैसो के लिए मद्दत के लिए कहो वो वक्ती दुसरे दिन शिर्डी के लिए चला गया और साईं बाबा से ये समस्या बताई तो साईं बाबा ने कहाँ की तुम ऊपर वाले पर छोड़ दो ऊपर वाला तुम्हारी सहायता करेगा और साईं बाबा ने कहा की तुम ५ दिनों के शिर्डी में ही रहो और यही भोजन करो और भगवन की भक्ति करो उस वक्ती ने कहा साईं मेरी बेटी की शादी के लिए ५ दिन बाकि है मैं यहाँ रहा तो शादी कैसे होगी फिर साईं बाबा ने कहाँ की सब ऊपर वाले पर छोड़ दो.........वो वक्ती साईं बाबा की बात मान कर ५ दिन शिर्डी में रुक गया अब पाचवे दिन साईं ने कहाँ आज तुम्हरी बेटी की शादी है तुम घर जाओ फिर उस वक्ती ने कहाँ की मेरी बेटी की शादी कैसे होगी मेरे पास पचास हजार रुपए नही है साईं बाबा ने फिर कहाँ तुम उपरवाले का नाम लेते लेते जाओ घर सब ठीक हो जायेगा वो वक्ती बाबा की बात मान कर घर के लिए निकल गया घर जाते ही उसने देखा पूरा गाव ख़ुशी की लहर में है और जैसे ही उसने देखा अपने घर की तरफ वह उसकी बेटी दुल्हन बन कर मंडप में बैठी थी और शादी हो रही थी वो घर गया और अपनी पत्नी से पूछा की पैसे कहाँ से आये तो उसकी पत्नी ने कहाँ की तुम्हारा एक दोस्त आया था और उसने कहाँ की वो तुमसे कभी उधार लिया था वो आज वो पैसा लौटाने आया था और तुम्हे कहाँ है की तुम उसे कभी भूलना नहीं वो हरदम तुम्हारे साथ है भगवान् तुम्हारी रक्षा करे ....ये सुनते ही उसकी आखो से आसू निकलने लगे वो समझ गया जो वक्ती उसके दोस्त के रूप में उसके घर आया था वो साईं बाबा ही थे ...........इस कहानी से ये सबक मिलता है की भगवान् अपने भक्तो की सहायता के लिए किसी भी रूप में आ सकते है !! ॐ साईं राम

Sunday, June 20, 2010